शनिवार, 30 जनवरी 2016

अफ़्रीकी अमरीकी अपना पेट ऐसा ही सस्ते में उपलब्ध खाद्य ग्रहण करके भर लेते हैं। सस्ता रखा गया है वहां जंक फ़ूड अदबदाकर खाद्य निगमों द्वारा। सोडा रिफिल वहां फ्री है यहां भी ये पैकेज सिस्टम जड़ जमा रहा है। नतीजा है चाइल्ड ओबेसिटी के अलावा किशोर किशोरियों में युवावस्था के देहलीज पर डायबिटीज़ और कार्डिएक प्रॉब्लम्स की दस्तक। मोटापे से ग्रस्त बच्चे स्कूल में भी कोई अच्छा मुक़ाम हासिल नहीं कर पाते हैं। एक हीनभावना घर बना लेती हैं इनमें . दीर्घावधि में प्रोडक्टिव रोज़गार में भी ये नहीं घुसपाते।

विविधताओं ,विरोधों से भरा  है भारत देश। एक तरफ यहां कोई एक लाख अठ्ठानवें हज़ार (लगभग दो लाख )करोड़पति

हैं (२०१५ के आंकड़ें हैं ये )

तो  दूसरे छोर पर परम दारिद्र्य भी यहां पैठा हुआ है। किसी भी महानगर से रेलयात्रा आरम्भ कीजिये परम गरीबी

आपको शर्मिंदा करेगी। ताज़महल होटल (मुंबई )के ठीक सामने फुटपाथ पर आपको पतिपत्नी एक ही चादर में रातभर

लिपटे दिख जाएंगे साथ ही स्वान भी वहीँ सुसुप्ति में मिलेगा ,बगल से मल से सना हुआ बच्चा भी पड़ा होगा। 

सबसे ज्यादा कुपोषित बच्चे भी भारत में हैं और मुटियाते बालक भी यहीं हैं। ५ -१९ साला बालकों और किशोर -गण के

मोटापे की चपेट में आने की दर भारत में जहां २२ फीसद है वहीँ अमरीका के लिए यही दर इसी आयुवर्ग के लिए (१७. ५

-२०. ५ )दर्ज़ हुई  है जहां मोटापा एक राष्ट्रीय समस्या का रुख लेता जा रहा है। इफरात का खाना यहां मयस्सर है। लार्ज

पोरशंस प्लेट साइज़ वाला देश है यह  . जितना खाओ उससे ज्यादा वेस्ट -बिन के हवाले करो।

अपने भारत देश में भी जहां -जहां अन्न और अन्य खाने पीने की चीज़ें  इफरात से हैं वहां माँ बाप खिला खिला कर बच्चे

के पेट का वॉल्यूम  बढाए जा रहें हैं।

 ये एक खतरनाक किस्म का लाड़  लड़ाना है। ये प्यार नहीं दुश्मनी है बालक के प्रति। सस्ता मनोरंजन है यह हेल्दी

मनोरंजन बच्चे को मनोरंजन के बेहतर साधन मुहैया करवाना है।  मुंबई के पॉश इलाके नोफ्रा (नेवल रेजिडेंशियल एरिया

)के अपने प्रवास के दौरान मैं ने  संध्या में अक्सर बच्चों को फास्ट फ़ूड और सोडा (कोक-पेप्सी एरेटिड ड्रिंक्स )गटकते

देखा है।

अफ़्रीकी अमरीकी अपना पेट ऐसा ही सस्ते में उपलब्ध खाद्य ग्रहण करके भर लेते हैं। सस्ता रखा गया है वहां जंक  फ़ूड

अदबदाकर खाद्य निगमों द्वारा। सोडा रिफिल वहां फ्री है यहां भी ये पैकेज सिस्टम जड़ जमा रहा है। नतीजा है चाइल्ड

ओबेसिटी के अलावा किशोर किशोरियों में युवावस्था के देहलीज पर डायबिटीज़ और कार्डिएक प्रॉब्लम्स की दस्तक।

मोटापे से ग्रस्त बच्चे स्कूल में भी कोई अच्छा मुक़ाम  हासिल नहीं कर पाते हैं। एक हीनभावना घर बना लेती हैं इनमें  .

दीर्घावधि में प्रोडक्टिव रोज़गार में भी ये नहीं घुसपाते।

कुछ स्कूलों में खेलकूद पे ज़ोर देने के अलावा केन्टीन पर भी निगरानी रखी जाती है  . ग्रीज़ी जंक फ़ूड मोटापे का घर है

रोगों की मांद है।

ये भी देखिये मिड दे मील्स में कहीं आप यही सब तो नहीं परोस रहे ?सहज सुलभ चटकारे -दार ?रंगीन पैकेज वाला

बासा भोजन ?

शुक्रवार, 29 जनवरी 2016

'मुंडे मुंडे मतिर्भिन्नै ' और ईशावास्य सर्वं इदं में परस्पर कोई विरोध नहीं है।एकता में ही बहुलता (अनेकता )है।

१९५० आदि के दशक में हर दसवां  भारतीय मुस्लिम था। सेकुलरिस्म की बुनियाद तब तीन खम्बों पर टिकी थी। पहली अवधारणा थी कि बहुसंख्यक भारतधर्मी समाज  की धुर परस्ती (बुनियादपरस्ती ) अल्पसंख्यक (मुस्लिम )समाज से ज्यादा खतरनाक है। (राहुल गांधी आज भी यही बोल रहे हैं ),जबकि इस दरमियान सरयू और बेतवा में काफी पानी बह चुका है। दूसरी मान्यता यह थी कि मुस्लिम अल्पसंख्यक शोषित वर्ग है तथा तीसरी यह कि मुसलमानों का उद्धार उन्हें अँधेरे से उजाले में मुस्लिम ही लाकर कर  सकते हैं बहुसंख्यक वर्ग नहीं। हालांकि यह मुस्लिम अल्पसंख्यक अवधारणा भी नेहरू सोच का फलसफा था। दूसरे वर्ग भी थे जिन्हें अल्पसंख्यक कहा जा सकता था। लेकिन भारत की  मज़हबी पहचान को गंगा (भारतधर्मी सनातन धर्मी समाज )जमुनी तहजीभ  ही कहा जाता रहा।

आज हर सातवां भारतीय मुस्लिम है। सेकुलरिज़्म के परम्परा गत खम्भे कब के दरक चुकें हैं और ऐसा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हुआ है अकेले कोई भारत की बात नहीं हैं। अब न सुकारणों की इंडोनेशिया पंथ  निरपेक्ष सेकुलर सोच बकाया है न ईरान के शाह रज़ा पहलवी की और न ही कमाल अतातुर्क के वारिस अब तुर्की में ही बकाया है।

पेट्रो डॉलर्स मुस्लिम भाई चारे का कब प्रतीक बना किसी को भी पता नहीं चला। गत चालीस  बरसों में शीतयुद्ध ने बुनियाद परस्त मुस्लिम तबके को साम्यवाद के खिलाफ खड़ा किया।

धीरे धीरे शैरियत कानूनों ने दुनिया भर में अपने पंख खोल दिए। और कब इसने इस्लामिक स्टेट का रूप ले लिये सब कुछ एक सपना सा लगता है।

परिंदे अब भी पर तौले हुए हैं ,

हवा में सनसनी घोले  हुए हैं।

हमारा कद सिमट कर घिस  गया है ,

हमारे पैरहन झोले हुए हैं।

गज़ब है सच को सच कहते नहीं हैं ,

सियासत के कई चोले हुए हैं।

अपने भारत देश की तो बात छोड़िये पड़ोसी  पाकिस्तान में जहां १९४७ में मात्र १३७ मदरसे थे  जो बुनियाद परस्ती की तालीम देते थे आज वहां इनकी संख्या १३,००० के पार चली गई है। दुनिया जानती है और मानती है कि पाकिस्तान दहशतगर्दों की जन्नत बना हुआ है जिसे शैतानी खुफिया तंत्र इंटरसर्विसेज़ इंटेलिजेंस का आशीर्वाद प्राप्त है। जेहादी तत्व उस पाकिस्तान की विदेश नीति का अंग बना रहा है जहां कभी योरोप में पढ़ा लिखा वर्ग बड़े वायदे किए था सेकुलरिज़्म के ,आज वहां सिर्फ ढाई तीन फीसद हिन्दू बकाया हैं। दहशद गर्दों  की पौ  बारह है। तूती बोलती है इंतहा पसंदों की। खुले आम धमकी देते हैं ये भारत देश को।

दोनों मुल्कों  में बदलती फ़िज़ा और जनसंख्या के वर्तमान स्वरूप के आलोक में भारत के मूल चरित्र बहुलतावाद ,सर्वग्राही सर्व- समावेशी संस्कृति को बचाये रखने की मुहीम छेड़ना अब लाजमी हो गया है   इसके लिए भारतधर्मी सनातनधर्मी समाज के साथ हमारे मुस्लिम भाइयों की सोच का खुलना अब बेहद ज़रूरी हो गया है जिसपे तीन चार बुनियादपरस्तों का कब्ज़ा होता साफ़ दिखाई दिया है।

उत्तरप्रदेश के आज़म खान साहब ,असम के बदरूद्दीन  अजमल साहब तथा हैदराबाद के ओवेसी बंधू बेहतर हो  वृहत्तर मुस्लिम समाज को समय के साथ चलने दे।

इधर ममता दीदी भी बुनियाद परस्तों के टोले में शामिल हो गईं हैं इन्हीं में एक दिग्विजय सिंह हैं जो मुंबई २६/११ हमले को आरएसएस  की उपज बतलाते हैं। नीतीश -लालू -केजरबवाल सब इसी टोले के सदस्य हैं।  आज देश को अंदर बाहर दोनों तरफ से खतरा है।

हम समर्थन करते हैं महिलाओं के शनि शिंगनापुर  (महाराष्ट्र ),तथा सबरीमाला मंदिरों में प्रवेश का साथ ही मुस्लिम महिलाओं के  हाजी अली दरगाह में प्रवेश की भी हम हिमायत करते हैं।

 अल्लाह ताला की निगाह में औरत और मर्द यकसां हैं।सब का अल्लाह एक है। उस तक पहुँचने के रस्ते भले जुदा हैं।

'मुंडे मुंडे मतिर्भिन्नै '

और ईशावास्य सर्वं इदं में परस्पर कोई विरोध नहीं है।एकता में ही बहुलता (अनेकता )है।

जड़ हो या चेतन ,नर हो या मादा सबकुछ उस एक की ही अभिव्यक्ति है। उससे अलग कुछ भी नहीं है। परमात्मा का मुख सब जगह है  वह पूरी कायनात   कठमुल्लों  को भी पोंगा पंडितों को भी देख रहा है।   हमारे देखने समझने की बारी है। 

गुरुवार, 28 जनवरी 2016

UN health chief: Zika virus is 'spreading explosively'

GENEVA: The Zika virus is "spreading explosively" in the Americas, which could see up to 4 million cases over the next year, international health officials said Thursday, announcing a special meeting next week to decide if they should declare an international health emergency.

The warning from the World Health Organization came amid a call to arms by officials on both sides of the Atlantic over the mosquito-borne virus, which has been linked to a spike in a rare birth defect in Brazil.

Brazil's president, noting there is no medical defense against the infection, called for a crusade against the mosquitoes spreading it.

"As long as we don't have a vaccine against Zika virus, the war must be focused on exterminating the mosquito's breeding areas," said President Dilma Rousseff.

The UN health agency called the special session in part to convey its concern about an illness that has sown fear among many would-be mothers. It may also have acted quickly because the agency was criticized for its slow response to the Ebola epidemic in West Africa.

Meanwhile, US health officials said Thursday while they have not yet seen spread of the disease in the 50 states, the number of US travelers infected over the last year in the Caribbean or Latin America has climbed to 31.

The Zika virus was first discovered in Africa in 1947. But until last year, when it was found in Brazil, it had never been a threat in the Western Hemisphere.

The virus causes no more than a mild illness in most people. But there is mounting evidence from Brazil suggesting infection in pregnant women is linked to abnormally small heads in their babies — a birth defect called microcephaly.

Earlier this month, US health officials advised pregnant women to postpone visits to Brazil and other countries in the region with outbreaks.

"For the average American who's not traveling, this is not something they need to worry about," said Dr. Anne Schuchat, of the US Centers for Disease Control and Prevention.

But "for people who are pregnant and considering travel to the affected areas, please take this seriously," she added. "It's very important for you to understand that we don't know as much as we want to know about this yet."

In Geneva, WHO Director-General Dr. Margaret Chan noted it had been less than a year since the virus arrived in the Americas, "where it is now spreading explosively."

Although there is no definitive proof that the Zika virus is behind the spike in brain defects in Brazil, "the level of alarm is extremely high," she added.

"The possible links, only recently suspected, have rapidly changed the risk profile of Zika from a mild threat to one of alarming proportions," Chan said.

Researchers are also looking into a potential tie between Zika infections and cases of Guillain-Barre syndrome, which can cause temporary paralysis.

According to the CDC, the Zika virus is now in more than 20 countries, transmitted by the same mosquito that spreads other tropical illnesses such as dengue and yellow fever.

Sylvain Aldighieri, head of WHO's epidemic response team in the Americas, estimated there could be 3 million to 4 million Zika infections in the region over the next year. He said the agency expects "huge numbers" of infections because of the widespread presence of the Aedes mosquitoes that spread Zika and because people in the region have no natural immunity.

The same mosquito species spreading Zika in Latin America is also found in the southern United States. However, US health officials reiterated Thursday they don't think the United States is vulnerable to a widespread outbreak of the Zika virus.

WHO warned China and all other countries that have dengue fever to be on the lookout for Zika infections. The agency said it could be many years before a vaccine is available and it might take six to nine months before there's any data showing a causal relationship between Zika and the babies born with malformed heads.

Monday's special session does not guarantee that a global emergency will be declared — WHO has held 10 such meetings to assess the Middle Eastern respiratory syndrome coronavirus and no emergency has been announced.

Declaring a global emergency is akin to an international SOS signal and usually brings more money and action to address an outbreak. The last such emergency was announced for the devastating 2014 Ebola outbreak in West Africa, which eventually ending up killing over 11,000 people. Polio was declared a similar emergency the year before.

Marcos Espinal, WHO's director of infectious diseases in the Americas region, said Brazil is conducting studies to determine if there is scientific evidence that Zika virus causes birth defects and neurological problems. More than 4,000 suspected cases have been reported in Brazil since October. However, tests so far have shown hundreds of them were not microcephaly.


Brazilian authorities estimate the country could have up to 1 million Zika infections by now. Most infected people don't get sick and those who do mostly suffer mild symptoms such as fever, rash, joint pain and red eyes.


The outbreak has mostly been in the poor and underdeveloped northeast, but the prosperous southeast, where Sao Paulo and Rio de Janeiro are located, is the nation's second hardest-hit region. Rio de Janeiro is of special concern, since it will host the Aug. 5-21 Summer Olympic games that are expected to be attended by millions from around the world.

Latest Comment

We request to our government kindly take stringent measures at the airports do not let the Zika come to india..Let india be " Anti ZikaSufiyan Ansari

International Olympic Committee President Thomas Bach said the fact the Olympics will be held in August — during Brazil's winter — could limit Zika's impact on the games. Cooler weather tends to cut down mosquito populations.


Earlier this week, officials in Rio ramped up their fight against the mosquitoes that spread Zika, dispatching fumigators to the Sambadrome, where the city's Carnival parades will take place next month.


There is no treatment or vaccine for Zika, which is in the same family of viruses as dengue. Scientists have struggled for years to develop a dengue vaccine; the first such shot made by Sanofi Pasteur was licensed last year in Brazil.

इसलिए भी ज़रूरी है भारत के हर शहर कसबे गाँव में स्वच्छता अभियान -ताकि हम सब बचे रहें डेंगू के भाई "ज़िका /ज़ीक़ा से -बचाव में ही बचाव है इस हैरान परेशान करने वाले विषाणुजन्य रोग के लक्षण सब में प्रकट ही होंवे ये ज़रूरी नहीं है अलबत्ता वह मैं और आप इसके वाहक ,कॅरिअर ज़रूर हो सकते हैं।


Q: WHY IS MICROCEPHALY THOUGHT TO BE LINKED TO ZIKA VIRUS?

इसलिए भी ज़रूरी है भारत के हर शहर कसबे गाँव में स्वच्छता अभियान -ताकि हम सब बचे रहें डेंगू के भाई "ज़िका /ज़ीक़ा से -बचाव में ही बचाव है  इस हैरान परेशान करने वाले विषाणुजन्य रोग के लक्षण सब में  प्रकट ही होंवे ये ज़रूरी नहीं है अलबत्ता वह मैं और आप इसके वाहक ,कॅरिअर ज़रूर हो सकते हैं।

वेक्टर बोर्न डिज़ीज़ है ज़ीक़ा डेंगू की तरह। कातिल भी वही है -एडिस इजिप्टी मच्छर ।

अपने आसपास का माहौल स्वच्छ रखें । पड़ोस में अपने पानी इकठ्ठा न होनें देवें।

दिमाग के एक रोग माइक्रोसेफली से मिलता जुलता प्रतीत होता है यह रोग जिसमें नवजात शिशु के दिमाग का सरकम फ्रेंस ३१ -३२ सेंटीमीटर या उससे भी कम रह जाता है। कम विकसित रह जाता है शिशु का दिमाग।

रोग से बचे रहने का एक ही तरीका  है आप मच्छरों से बचे रहें। इनके भी आतंकियों की तरह स्लीपर सेल्स हो सकते हैं। कोई दक्षिण अमरीकी देशों से इसे लिए आ सकता है अपने खून में। बस मच्छर पहले उसे काटे  और बाद में जिसे भी काटे -वही इसका ग्रास बन जाएगा।आतंकियों की तरह खूंखार है यह रोग।

सन्दर्भ -सामिग्री :-

http://www.bbc.com/news/world-us-canada-35425731

Zika virus could become 'explosive pandemic'


US scientists have urged the World Health Organisation to take urgent action over the Zika virus, which they say has "explosive pandemic potential".

Writing in a US medical journal, they called on the WHO to heed lessons from the Ebola outbreak and convene an emergency committee of disease experts.

They said a vaccine might be ready for testing in two years but it could be a decade before it is publicly available.

Zika, linked to shrunken brains in children, has caused panic in Brazil.
Thousands of people have been infected there and it has spread to some 20 countries.

The Brazilian President, Dilma Roussef, has urged Latin America to unite in combating the virus.
She told a summit in Ecuador that sharing knowledge about the disease was the only way that it would be beaten. A meeting of regional health ministers has been called for next week.
Writing in the Journal of the American Medical Association, Daniel R Lucey and Lawrence O Gostin say the WHO's failure to act early in the recent Ebola crisis probably cost thousands of lives.
They warn that a similar catastrophe could unfold if swift action is not taken over the Zika virus.

"An Emergency Committee should be convened urgently to advise the Director-General about the conditions necessary to declare a Public Health Emergency of International Concern," Mr Lucey and Mr Gostin wrote.
They added: "The very process of convening the committee would catalyze international attention, funding, and research."
White House spokesman Josh Earnest said on Wednesday the US government intended to make a more concerted effort to communicate with Americans about the risks associated with the virus.

No cure

There is no cure for the virus and the hunt is on for a vaccine, led by scientists at the University of Texas Medical Branch.
The researchers have visited Brazil to carry out research and collect samples and are now analysing them in a suite of high-security laboratories in Galveston, Texas.

Access to the building in Galveston is tightly controlled by police and the FBI. Speaking to the BBC inside the facility, Professor Scott Weaver, director of the Institute for Human Infections and Immunity, said people were right to be frightened by the virus.
"It's certainly a very significant risk," he said, "and if infection of the foetus does occur and microcephaly develops we have no ability to alter the outcome of that very bad disease which is sometimes fatal or leaves children mentally incapacitated for the remainder of their life."

The Zika virus was discovered in monkeys in 1947 in Uganda's Zika Forest, with the first human case registered in Nigeria in 1954 but for decades it did not appear to pose much of a threat to people and was largely ignored by the scientific community.
It was only with an outbreak on the Micronesian island of Yap in 2007 that some researchers began to take an interest.
In the past year the virus "exploded" said Prof Weaver, sweeping through the Caribbean and Latin America "infecting probably a couple of million people".

The symptoms in adults and children are similar to those for dengue fever but generally milder, including flu-like aches, inflammation of the eyes, joint pain and rashes although some people have no symptoms at all.
In rare cases the disease may also lead to complications including Guillain-Barre syndrome, a disorder of the nervous system which can cause paralysis.

  • Spread by the Aedes aegyptimosquito, which also carries dengue fever and yellow fever
  • First discovered in Africa in the 1940s but is now spreading in Latin America
  • Scientists say there is growing evidence of a link to microcephaly, that leads to babies being born with small heads
  • Can lead to fever and a rash but most people show no symptoms, and there is no known cure
  • Only way to fight Zika is to clear stagnant water where mosquitoes breed, and protect against mosquito bites

PARIS (AFP) - Pregnant women are being urged to think twice before travelling to Latin American and Caribbean countries battling a rise in cases of microcephaly - a rare but brutal condition that shrinks the brains of unborn babies.

The increase has coincided with an outbreak of the usually benign Zika virus. But the virus and the birth defects have not been scientifically linked, leaving many questions about what is happening to these children in the womb.

Q: WHAT IS MICROCEPHALY?


A: Babies with microcephaly have an abnormally small brain and skull for their age, in the womb or at birth, with varying degrees of brain damage as a result. It has many potential causes: infections, viruses, toxins or unknown genetic factors.

Q: WHAT ARE THE CONSEQUENCES FOR THE CHILD?


A: In serious cases, early death. If the brain is under-developed, the body cannot function properly. In French Polynesia (one of the regions affected), these deformities have caused most of the babies to be stillborn, as the unborn infants simply cannot survive.

- Andre Cabie, infections disease head at the University Hospital of Martinique.
A: For children who survive pregnancy and are born with microcephaly, the future is bleak. In the worst cases, children will be severely intellectually and physically handicapped. But even those less severely affected will likely struggle with psychomotor impairment - characterised by slow thought, speech and physical movements.

"It is a real tragedy." Delfraissy
Q: HOW DOES A VIRUS AFFECT AN UNBORN CHILD?
A: Many types of viral infections, such as rubella or cytomegalovirus, can cause physical deformities and intellectual deficiencies, especially during the first three months of pregnancy, when the vital organs are being formed. Viruses can travel through the placenta and infect the foetus directly, sometimes in the brain.

- Delfraissy

Q: WHY IS MICROCEPHALY THOUGHT TO BE LINKED TO ZIKA VIRUS?

A: Microcephaly cases seem to have increased in the zone of the Zika outbreak. But also, the virus has been detected in stillborn children with microcephaly, as well as in the amniotic fluid.
The link between Zika and microcephaly is highly likely, but has not yet been proven scientifically.
- Delfraissy
A: This is a very new situation. Until a few months ago we did not know that Zika could cause congenital infections (which are present from birth) and microcephaly. It caught us all by surprise.
The evidence for the link is relatively strong, and considered strong enough to warrant public health measures.
- Laura Rodrigues of the London School of Hygiene and Tropical Medicine, via the Science Media Centre.

Q: WHAT ARE WE DOING TO LEARN MORE?

A: Studies are underway in French Polynesia, where a Zika outbreak ocurred around the end of 2013 - beginning of 2014, to better understand how the virus may affect foetuses. In Martinique, where there is an outbreak right now, a trial group of pregnant women is being put together for study.
The difficulty is that people infected with the virus usually have no symptoms. A pregnant woman can thus be infected without knowing it. On the other hand, cases have been observed of pregnant women infected with Zika whose children did not develop microcephaly.
Cabie

Q: IS ZIKA CONTAGIOUS BETWEEN PEOPLE?

A: There has been a case of sexual transmission, and theoretically transmission by transplantation or transfusion cannot be ruled out. The main route of infection is through mosquitoes.
- Alain Kohl of the University of Glasgow's Centre for Virus Research.



Image for the news result
Some 4,180 cases of microcephaly – which causes babies to be born with heads which ...

नरेंद्र मोदी ने जो कुछ रुंधे गले से कहा वह एक ईमानदार वक्तव्य था -'हमें इस मामले में राजनीति नहीं करनी चाहिए ' माँ ने अपना लाडला और भारत माँ ने एक होनहार युवक को खो दिया। कोरी संवेदना नहीं थी यह । हम नहीं सोचते भारत के दलित आज असली संववेद्ना और मोहित करने वाली जेहादी ताकतों में फर्क करना भूले हैं और इसी लिए ये चंद लाइनें लिखीं हैं ताकि और रोहिथ वेमुला विज्ञान कथाकार बनने का अपना सपना बीच में ही छोड़कर हमारे बीच से न चला जाए।

भारत के दलित सावधान रहें रक्तरंगी लेफ्टीयों (फासिस्ट्स-वादी  मार्क्स-वादी )और जेहादी मानसिकता के उन लोगों से जिन्होनें एक हिंदू दलित चेहरे को आगे करके अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकी और लगातार सेंक रहे हैं। गरमाए हुए हैं रोहिथ वेमुला की आत्मग्लानि जन्य आत्म हत्या को। आदमी के अंदर का विरोध ,द्व्न्द्व जब बे -साख्ता बढ़कर बे -काबू हो जाता है तब ही एक होनहार युवक आत्महत्या करता है। जब उसका अपने 'असली मैं 'रीयल सेल्फ से सामना होता है ,तब वह निहथ्था रह जाता है।

कौन लोग थे जिन्होनें उसे बीफ पार्टी देने और एक और युवक को शूकर पार्टी देने के लिए उकसाया। कौन जेहादी थे जिन्होनें याकूब मेमन के समर्थन  में देश को बदनाम करने के लिए एक मासूम दलित का चेहरा आगे किया ?

दिमाग पे ज्यादा जोर डालने की आज ज़रूरत नहीं रह गई है। ये वही लोग हैं जिन्होनें   निर्भया हत्या काण्ड के उस नाबालिग हत्यारे को तैयार किया था जिसका चेहरा और नाम आज तक   छिपाए रखा, और उसे साफ़ बचाकर ले गए। उसे भी  इन्हीं ताकताओं ने हिन्दू लड़कियों को भ्रष्ट  करने की नीयत से पाला था।उसी शातिर ने निर्भया को दीदी कहकर बुलाया था -उस हत्यारी बस में जो इसी काम के लिए नियुक्त थी। गोवा से प्रकाशित सनातन प्रभात  नामक पाक्षिक  पत्र ने अपने ताज़ा अंक में  इस पूरी साजिश का खुलासा किया है।

ओवेसी सोच के इन शातिरों से आज भारत के दलितों को असली ख़तरा है। ये ताकतें किसी को भी अंदर से जेहादी बना सकती हैं।

कौन ताकतें हैं वे -पता लगाया जाए जिन्होनें एक दलित परिवार को पैसों से इतना लाद  दिया है कि  वह असली संवेदना और जेहादी उकसावे में फर्क करना भूल गए।

नरेंद्र मोदी ने जो कुछ रुंधे गले से कहा वह एक ईमानदार वक्तव्य था -'हमें इस मामले में राजनीति नहीं करनी चाहिए ' माँ ने अपना लाडला और भारत माँ ने एक होनहार युवक को खो दिया।

कोरी संवेदना नहीं थी यह । हम नहीं सोचते भारत के दलित आज असली संववेद्ना  और मोहित  करने वाली जेहादी ताकतों में फर्क करना भूले हैं और इसी लिए ये चंद लाइनें लिखीं हैं  ताकि और रोहिथ  वेमुला विज्ञान कथाकार बनने का अपना सपना बीच में ही छोड़कर हमारे बीच से न  चला जाए।

जय श्रीकृष्णा ! 

शुक्रवार, 15 जनवरी 2016

'कौम ,धर्म ,मज़हबी फ़साने ,इंसानों के बैर बहाने जातपात से उपजे निसिदिन ,भेदभाव के ठौर ठिकाने '- आमंत्रित कविता - कमांडर निशांत शर्मा



                           (१ )

नए साल की नवसंभावना ,नए दौर की नै बात हो ,
                           
इसका ,उसका ,तेरा ,मेरा बाँट दिया जग टुकड़ा टुकड़ा। 

देश में एका कर दो मेरे ,प्यार हो मज़हब ,स्नेह जात हो। 

नए साल की नवसंभावना ,नए दौर की नै बात हो। 

                          (२ )

जागा रहा मैं तन्हा -तन्हा ,कश्मकश में सदियाँ ,सदियाँ 

मूंदू आंखें पलभर अब मैं ,इस सुबहो की नै रात हो ,

नए साल की नवसंभावना ,नए दौर की नै बात हो। 


                        (३ )

भाग रहा मैं ,भाग रहे तुम ,अपनों की इस भीड़भाड़ में ,

रोकूँ अजनबी अनजाने को ,प्यार की एक नै शुरुआत हो ,

नए साल की नवसंभावना ,नए दौर की नै बात हो। 


                       (४) 

यूँ गैरों के अक्श में अक्सर ,ढूंढा  किया हूँ चेहरा अपना ,

हुआ मुखातिब कोई न बरसों ,खुद की खुद से मुलाक़ात हो ,

नए साल की नवसंभावना ,नए दौर की नै बात हो। 

                      (५ )

वो नहीं आता, मैं नहीं जाता ,बंद है कब से आना जाना,

गज भर के घर ,बड़े शहर हैं ,मीलों फासलों का है फ़साना ,

दूर हो दूरी आज दरमियाँ  ,दिलों में  अब न एहतियात हो। 

नए साल की नवसंभावना ,नए दौर की नै बात हो। 

                      (६ )

कौम ,धर्म ,मज़हबी फ़साने ,इंसानों के वैर बहाने ,

जात पात से उपजे निसिदिन ,भेदभाव के ठौर ठिकाने ,

इस दुनिया में हम तुम आओ ,जीने के दस्तूर बदलें ,

हुए रूहानी एक दूजे से ,नए नवेले ताल्लुकात हों ,

 नए साल की नवसंभावना ,नए दौर  की नै बात हो। 

जयश्रीकृष्ण !

सोमवार, 11 जनवरी 2016

जमानती मायनो कांग्रेस विघटन की राजनीति खेले और सेकुलर होने का दम्भ भरे ,बीजेपी तिनका तिनका जोड़े और सांप्रदायिक कहलाए

जमानती मायनो कांग्रेस विघटन की राजनीति खेले और सेकुलर होने का दम्भ भरे ,बीजेपी तिनका तिनका जोड़े और सांप्रदायिक कहलाए।इखलाख के खिलाफ चंद अफ़्वाही लामबंद होकर खूनी हिंसा करें और पूरा देश असहिष्णु हो जाए ,मालदा में सरे आम ढाई लाख की भीड़ खुला खेल फरुख्खाबादी खेले ,पुलिस थाने को आग लगाए ,पुलिस जानबचाकर भागे और पूरा मामला बस एक छोटी सी घटना कहलाए इसके लिए आपको मायनो और ममता के चश्मे का नंबर जानलेना ज़रूरी नहीं है ये इनकी फितरत है। 

वो काना जो अपने नाम को भी धन्य नहीं करता न करुणा है न निधि -सरे आम कहता है राम तो थे ही नहीं। और हिन्दू समाज प्रतिक्रिया न करे तो सब ठीक और इधर कोई इस्लाम के पैगंबर पर ऊँगली उठादे -सिर्फ इशारा करे तो ऊँगली काट दी जाए। क्या अजब राजनीतिक चुतियापा है। 

एक कलाखोर हिन्दू देवी देवताओं की मैथुनी तस्वीर बनाए तो सब ठीक और... अब क्या लिखें इसके आगे।और अब क्या लिखें आगे हमें खुद शर्म आती है कैसे कैसे नमूने हिन्दू कहलाते।  

रविवार, 10 जनवरी 2016

इधर कांग्रेस के एक भडुवे (उकील बोले तो वकील उर्फ़ चाकर )कहते हैं यूपीए -२ के शासन काल में सेना ने बगावत की कोशिश की थी। इसी कांग्रेस के एक और प्रवक्ता कहते हैं कांग्रेस ऐसा नहीं मानती की सेना दिल्ली की ओर इस नीयत से कूच किये थी।


सांप के मुंह में छछूंदर बोले तो मायनो कांग्रेस 

कुछ ऐसी ही गति हो गई है कांग्रेस की।  रामजन्म भूमि के मुद्दे पे राजीव गांधी की मंशा को झुठला भी नहीं सकते। क़ुबूल भी नहीं कर सकते भले सच सामने खड़ा हुआ हो। आँखें बंद कर लेते हैं कांग्रेसी। 

अपने पुरखों को मान्यता देने में भी कतराते हैं ये लोग। 

इधर कांग्रेस के एक भडुवे (उकील बोले तो वकील उर्फ़ चाकर )कहते हैं यूपीए -२ के शासन काल में सेना ने बगावत की कोशिश की थी। इसी कांग्रेस के एक और प्रवक्ता कहते हैं कांग्रेस ऐसा नहीं मानती की सेना दिल्ली की ओर इस नीयत से कूच  किये थी। 

इनके कई प्रवक्ता चैनलों पर वमन करने आते हैं इन्हें परिचर्चा का मायने  ही नहीं मालूम -ये मायने ( अर्थ ,मीनिंग )को भी मायनो ही समझते हैं। अलबत्ता मायनो और मंदमति की जय बोलने के अलावा इन्हें कुछ आता जाता भी नहीं हैं।न विषय की अवधारणा न स्कोप। 

 केजरवाल की तरह खबरों में बने रहने के लिए ये कुछ भी  ऊलजलूल ऐसा बोल देते हैं कि खबरों में आ जाएं। अब महाशय केजर वाल अगर इंतना भर करा  दें कि ५-१० किलोमीटर के दायरे में जो नौनिहाल रहते हैं उन्हें उस  दायरे में मौजूद  स्कूल दाखिला देने से इंकार नहीं कर सकते तो दिल्ली  का बड़ा भला हो जाए। 

भला दस्तूरी के लेन  देन (डोनेशन ) को आप कैसे रोकेंगे ?पहले अपना घर ठीक कीजिए ,फिर रोकिए औरन कू।

 एक ऐसा शख्श जिसकी औकात एक एनजीओ  को भी ठीक से चलाने की नहीं थी बन गया मंत्री - मुख्य और कांग्रेसी तो फिलवक्त हाराकिरी (आत्मघात )की देहमुद्रा में आ चुकें  हैं। गौर से देखने भर की ज़रुरत है इस हकीकत को।